नही तोड़ सकूँगा नभ के तारे,
चांद के संग रहते वोह सारे,
ला नही सकता गगन ज़मीन पर,
क्या चांद का दिल मैं तोड़ सकूँगा?
क्या यादें तेरी छोड़ सकूँगा,
जाते लम्हे जोड़ सकूँगा?
जी ना सकूं तुम बिन शायद,
शायद एक पल, शायद एक दिन,
पर क्या तुम बिन जीवन छोड़ सकूँगा?
तुमको तनहा छोड़ सकूँगा?
क्या यादें तेरी छोड़ सकूँगा,
जाते लम्हे जोड़ सकूँगा?
तुम बिन मेरा क्या है जीवन?
बिन मंज़िल का राही,
एक टूटे कलम कि स्याही
क्या पन्ने कोरे छोड़ सकूँगा?
क्या यादें तेरी छोड़ सकूँगा,
जाते लम्हे जोड़ सकूँगा?
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2 comments:
dude...absolute super...
this is unbeatable...
Yaar this Kavita has left me Nishabdh (no pun intended).. too good
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