आसमां से ज़मीन को छूता, मेरा फीका इन्द्रधनुष
गुमसुम सा रहता, कुछ न कहता, मेरा फीका इन्द्रधनुष
क्यों रूठे हो पूछा मैंने, मेरे प्यारे इन्द्रधनुष
आँख चुराके, खोया रहता, मेरा फीका इन्द्रधनुष
सागर से गहरा, अभिमान से ऊंचा, मेरा अनूठा इन्द्रधनुष
पर्वत से बहता छिछले नालों में, मेरा फीका इन्द्रधनुष
प्राण हो मेरे, आन हो मेरे रूठो न मुझसे इन्द्रधनुष,
रोज़ रोज़ की ताने सहता मेरा फीका इन्द्रधनुष
धूमिल से हो तुम, दूषित गलियों में खो न जाना इन्द्रधनुष,
भीड़ में जीता, शुन्य में खोया, नुक्कड़ पर बैठा इन्द्रधनुष
टूट चुका हूँ, जाग गया हूँ, कहाँ है मेरा इन्द्रधनुष?
सिसक सिसक के कोने में रोता, मेरा फीका इन्द्रधनुष
सदियों से जीता, पल-छिन्न में मरता, मेरा फीका इन्द्रधनुष,
मुझे देख कर, क्षण भर जी लो मेरे भोले इन्द्रधनुष,
आखिर थोडा सा, कुछ घबराया सा मिला मुझे वह इन्द्रधनुष
अपनी काया से, कुछ गदराया सा, मुझमें रंग है भरता...
मेरा फीका इन्द्रधनुष